प्रीती वेल्हेकर-रामटेके (विस्तार अधिकारी चंद्रपूर) यांची अप्रतिम कविता “मेरी अच्छाईयां”

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!! मेरी अच्छाईयां !!

मेरे पास है ही क्या तुम्हे देने के लिये मेरी अच्छाईयो के सिवा !!
और अच्छाईया भी कितनी,
बस एक – दो गिनी चूनी !!

तुम जानते हो मै कीतनी जिद्दी हुं!
ज्यादा नही पर थोडी चिढती हुं!
गलत और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना तो मैं जैसे अपना हक ही मानती हुं,
चाहे वो मेरा घर हो या मेरा बाहरी ईलाका!!

मुझे पता नहीं के ये तुम्हे अच्छा लगता हैं या नही!!
पर मैं कहा इसकी परवाह करती हुं!!
मैं तो बस अपने सच पे और न्याय पे अडी रहती हुं!!

और तुम भी कहां अपनी हा या ना सुझाते हो!!
और मुझे तो जैसे मौका ही मिल जाता है अपने मन की करने को!!

पर कभी कभी लगता हैं की तुम मेरे साथ खडे रहो!!
सच और न्याय के लिये ना सही,
पर मैं तुम्हारी कूछ लगती हुं इसी वझह से सही!!

और फिर सोचती हुं मैं क्यू किसी पे निर्भर रहू!!
अभी मेरे अंदर शक्ती हैं अकेले लढने की,
और बस लढती जाती हुं!!

पर कभी तुम मेरे नजरियेसे देखने की कोशिश करोगे तो !!
तो तुम्हे भी पता चल जायेगा की,
सच और न्याय के लिये अकेले लढना कितना कठीण होता है !!

जिंदगी में लढाई नही तो वो जिंदगी ही क्या,
और शायद तुम भी सिख जाओगे मेरे जैसे लढना !!
बस यही मेरी अच्छाईयां मैं तुम्हे देना चाहती हुं..
बस यही मेरी अच्छाईयां मैं तुम्हे देना चाहती हुं !!

प्रीती वेल्हेकर रामटेके
विस्तार अधिकारी
चंद्रपूर (महाराष्ट्र)
86570 52030